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Kumar Vikash

Romance Tragedy

4.5  

Kumar Vikash

Romance Tragedy

मोहब्बत में

मोहब्बत में

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क्यों भला वो इतनी नाराजगी दिखाते है,

अब भला क्यों इतना अपनापन जताते है।


हंसते हंसते वो बस एक पल में रूठ जाते हैं

हाँ ठीख़ अगले ही पल दिल ए जान लुटाते हैं


वो चाहते हैं मैं उनकी फिक्र करूँ बारंबार

तो फिर क्यों वो करीब आके इठलाते हैं।


हाँ जब-जब उनसे दूर जाता हूँ मैं नज़रें छुपाके,

किसी बहाने वो मिलते है पर उंगली उठाते हैं


समझ पाया नहीं मैं कुछ भी अभी तक मोहब्बत में,

वो मेरे हैं या बस यूँ ही अपनापन दिखाते हैं।


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