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Sangeeta Agarwal

Romance

4  

Sangeeta Agarwal

Romance

ओ! हमसफ़र

ओ! हमसफ़र

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एक दिया तुम्हारी खैरियत के लिये

हर सुबह जलाया मैंने, ओ हमसफ़र !


तब कहीं जाकर, अपने हिस्से का

प्यार और अपनापन पाया मैंने।


हमसफ़र, हमसाया, हमख्याल हो

तो अच्छा है, कहने को तो सात जन्म

भी साथ रहकर, अनजान सफर कट

जाया करता है।


मांगा हर रोज़ तुझे दुआओं में,

रखना मुझे तू अपनी सदाओ में,


तुझपे है मेरी जान, दिलो निसार

ओ मेरे हमसफ़र, मुझे तुझसे ही प्यार।


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