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Kumar Vikash

Drama

3.5  

Kumar Vikash

Drama

सितमगर

सितमगर

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वो औरों की खुशी,

मेरे गम बन गये हैं।


हमदम थे जो,

कल तक मेरे।

वो आज,

सितमगर बन गये हैं।


बुझा कर

मेरे दिल से,

चाहत का दीया।

अब घर किसी और का,

रोशन करने गये हैं।।


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