इश्क की झनकार
इश्क की झनकार


बेरूखी भी तुम्हारी कमाल करती है,
एक दिल के टुकड़े हजार करती है।
पहले चाहता था तुम्हे बस एक ही दिल,
अब हजार दिलों से वही पुकार निकलती है।
तुम आजमा लो मेरे सीने पर सर रखकर कभी,
अब हर धड़कन से ही तेरे इश्क की झनकार निकलती है।