दंभ
दंभ
क्या सुनाओगे
तुम किसे यहाँ,
जब खुद को
खुद की आवाज़
सुनाई नहीं देती ।।
नदिया जल
बहती पवन
घर मंदिर में अब,
घंटा शंख ध्वनि
सुनाई नहीं देती ।।
मदमस्त हो
तन करे जब
खुद पर दंभ,
तब इंसाँ को
मन की आवाज़
सुनाई नहीं देती ।।
क्या सुनाओगे
तुम किसे यहाँ,
जब खुद को
खुद की आवाज़
सुनाई नहीं देती ।।
नदिया जल
बहती पवन
घर मंदिर में अब,
घंटा शंख ध्वनि
सुनाई नहीं देती ।।
मदमस्त हो
तन करे जब
खुद पर दंभ,
तब इंसाँ को
मन की आवाज़
सुनाई नहीं देती ।।