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Kumar Vikash

Abstract Others

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Kumar Vikash

Abstract Others

दंभ

दंभ

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क्या सुनाओगे

तुम किसे यहाँ,

जब खुद को

खुद की आवाज़

सुनाई नहीं देती ।।


नदिया जल 

बहती पवन 

घर मंदिर में अब,

घंटा शंख ध्वनि

सुनाई नहीं देती ।।


मदमस्त हो

तन करे जब

खुद पर दंभ,

तब इंसाँ को

मन की आवाज़

सुनाई नहीं देती ।।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

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