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Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract

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Brijlala Rohanअन्वेषी

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बिन तेरे अब रहा न जाए

बिन तेरे अब रहा न जाए

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क्या कहूँ कुछ कहा न जाए ,बिन तेरे अब रहा न जाए   

चल रही बिन पतवार की नाव ,हवा का झोंका अब सहा न जाए,

क्या कहूँ कुछ कहा न जाए। ढूंढते - ढूंढते रास्ते भी कम पड़ गए ,

जायें भी तो तुम ही बताओ कहाँ हम जाएं ! 

नटखट, शरारती और कोमल ह्दय वाली प्रेमिका हम कहाँ पाएं !

बिन तेरे अब रहा न जाएं क्या कहूँ कुछ कहा न जाए !

अकेलेपन में बित रही पल- पल ! दूरी हमसे अब सहा न जाए ,

दुनिया की सारे बंधने ढह रही तो ढहा अब जाए,

तुझे पाने खातिर दुनिया की रीत की परवाह नहीं।

तैयार रहना आ रहा हूँ ,तुझे लेने । 

इंतजार की घडिय़ाँ खत्म हुई अब तेरे साथ ही जिया जाए।

क्या कहूँ कुछ कहा न जाए ! बिन तेरे अब रहा न जाए। 



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