बेवजह
बेवजह
बेवजह इस बाजार मे चलता हूँ
बेवजह इस प्यार मे पड़ता हूँ
सब कुछ बिकता है, कीमत दे रहे
बेवजह ही इंसान भी ढूढता हूँ !
दर जिसके गया ना सुकूँ मिला
मिला तो बस इतना पैसा मिला
कि चर्चा मे भी यही कामना है
बेवजह ही भगवान भी ढूढता हूँ !
घर को अपना जला दिल्लगी कर रहे
सर को अपना खपा बन्दगी कर रहे
आस उनकी करे जो दिखा ही नहीं
बेवजह ही ऐसा मेजबान भी ढूढता हूँ !!
