कबसे य़ारी शुरू हुई पता नहीं
कबसे य़ारी शुरू हुई पता नहीं
कबसे य़ारी शुरू हुई पता नहीं
तैयारी हुई भी य़ा ना, खता नहीं
मिलते ही हुए यूँ , कोई छू मंतर
यारी भी हुई क्या , क्यूँ पता नहीं !
लौट के आया, जो, यार था
आकर मिला, वो उसका प्यार था
क्या मिला, जो, कुछ उधार था ?
अरे जो मिला वो ही अपार था !
कोई नहीं होता इतना भी सही
यार तो है कोई , सपना नही
चिर चितवन की जो आस रही
मेरी तो अब सारी ही सांस रही !
ये जीवन फिर मिले ना मिले
समेटते रहते क्यूँ सारे सिलसिले
एक दिन सोचो, क्या होगा जब
उठ जायेंगे सबके अपने काफिले !