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Deepali Mathane

Abstract

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Deepali Mathane

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स्त्री

स्त्री

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स्नेहमयी ममता की मूरत सजी है ऐसी धरा पर

अपने परिवार की गाथा सदा जिसके अधरो पर


त्याग,प्रेम,विश्वास की ऐसी पायी उसने धरोहर

हर एक रिश्तों का असर दिखे उसके विचारों पर


हर साँस में बुने अपने सपनें छोडे बलीवेदी पर

परिवार के आगे कुछ नहीं चढ़ जाये हसतें वेदी पर


दो कुलकी मर्यादा संभालें वो प्यार से जीवनभर

हर रिश्तों के रंग में रंग जायें सुंदर चित्रसी रंगकर।



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