इंतज़ार
इंतज़ार
ज़िंदगी गुज़र रही थी ज़िंदगी के इंतज़ार में
कुछ खुशियाँ पूछ रही थी पता यूँ हीं तक़रार में
ख़ोये हुए थे कुछ ख़्वाब दिल-ए-ऐतबार में
इंतज़ार की घड़ियाँ गिन रहे थे दिल-ए-बेकरार में
हंसी -ख़ुशी का ठिकाना बेबस खडा कगार में
ज़िंदगी का फलसफा बयाँ किया मुख़्तसर में
कारवाँ चलता रहा ख़ामोशियों का इकरार में
ज़िंदगी झेल रही थी बेसब्रियां ज़िंदगी के इंतज़ार में.