सुगंधि स्वेद
सुगंधि स्वेद
तुम आज फिर भिंगा दो मुझे पूनम की
उस रात की तरह,
मैं सोया था और तुम आई थीं मेरे ख्वाब
में हकीकत की तरह।
तुम्हारे इतर की खुशबू से महक उठी थी
मेरी ख्वाबगाह की फ़िजा ,
बदन से उत्पन्न तुम्हारे सुगंधि स्वेद की
बूँदों से मैं भींगा था जिस तरह ।।