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Kanika Dixit

Abstract

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Kanika Dixit

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कलम उठाई है

कलम उठाई है

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कुछ नया लिखने के लिए आज कलम उठाई है,

अपने अंदर आज एक नई सोच जगाई हैै।

दूसरो के लिए तो बहुत जी लिया, 

अब अपने लिए जीने की बारी आई हैै।

सबके लिए अनेक कुरबानियां दी है,

परंंतुु सभी ने मेरे अंदर अनेक बुराईयां बताई है।

कितना भी स्नेह और प्यार दू सभी को,

लेकिन मेरे प्रति उन्होंने हमेशा कठोरता जताई है।

कितना कुछ मैंनेे सहा है,

पर मेरी अच्छाई तो उनके लिए गड्ढे में समाई है।

अब सबको पीछेेे छोड़कर,

आगे बढ़नेेे की कसम आज खाई है।


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