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सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

4.3  

सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

तू बहुत ही खास है

तू बहुत ही खास है

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जब से तुझे देखा है तुमसे मिलने की आस है,

अप्रितम तुम रूप तुम्हारा नयना तेरे खास हैं,

तू है गगन का चांद उतर आया मन मानस में,

खुशियों से दामन भर जाता जब तू मेरे पास है,

लजाती सकुचाती कली गुनगुन करते भौरों से,

महक जाता उपवन जब तू होती आसपास है,

दूर क्षितिज में जब इंद्रधनुषी के रंग दिखते हैं,

उन सारे रंगों का प्यार लगता तेरा ही आभास है,

जब तुम आते पास हमारे गूंजती हैं चहूँ दिशाएँ,

उस गुंजार के स्वरों में तुम्हारी मधुर आवाज है,

आज स्मृतियाँ छन छन आती गुजरे उन दौरों से,

जब सूरज की किरणें आती लगता तू आसपास है,

यहाँ न कोई सानी तेरे हुनर का अद्भुत तेरी कला, 

उस हुनर को ही देख-देख होता तेरा एहसास है , 

आते कितने प्रणय भरे संदेश हवा के झकोरों से,

पर जब तुम ना आए मन में न बचा कोई उजास है I



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