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DEVSHREE PAREEK

Romance

4  

DEVSHREE PAREEK

Romance

इंकार का हक

इंकार का हक

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आज मैंने इन सांसो की, कहानी लिख दी

तुम्हारे नाम अपनी ये, जिंदगानी लिख दी…

चाहे अपनाओ या चाहे, ठुकरा दो मगर

इस दिल ने धड़कनों की, रवानी लिख दी…

ज़माने के गमों की, अब परवाह किसे है

आँसूओं के नाम हंसी की, जवानी लिख दी…

है अब भी इंकार का हक, तुझे मेरे हमदम

इंतजार के नाम, अंतिम सांस की निशानी लिख दी.


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