STORYMIRROR

DEVSHREE PAREEK

Romance

3  

DEVSHREE PAREEK

Romance

इश्क खरा सा है…

इश्क खरा सा है…

1 min
325

चाँद के अक्स में, इक चेहरा धुंधला सा है

बुझे हुए प्यार से फिर, उठता आज धुँआ सा है…

मैं अपने गीतों को, बाज़ार में उतार लाया

एक-एक शब्द को, लोगों ने जैसे छुआ सा है…

परिंदों सी उड़ान भरके, उड़नें लगा मासूम मन

ज़मीं पर जो बाकी रह गया, वो गुमाँ सा है…

ज़र्रे-ज़र्रे में मौजूदगी जानकर, तेरी ए ‘ख़ुलूस’

लगने लगा हरेक पत्थर, अब मुझे खुदा सा है…

कभी तो खत्म हो, हिज़्र की ये रात खुदाया

मर चले बस सांस बाकी, अब जरा सा है…

मिट गई तमाम हसरतें अधूरी ही ‘अर्पिता’

फिर भी जो बच गया, वो इश्क करा सा है.


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance