नथ
नथ
पुष्प सा व्याकुल मन मेरा
भंवर बन पिया उड़ आना
इस वसंत इक नथ पिया
अपने हाथों पहना जाना
कैसे कहूं पिया मन की पीर
पांव मेरे तोहे पायल की जंजीर
नहीं तो मैं पंछी बन उड़ आती
और पा स्नेह तुम्हारा वापस आ जाती
जब जब बादल बरसता है
मोर नैन भी संग बरसती है
चहूं ओर देख अमावस
मन अंदर ही अंदर घुटता है
तेरी यादों में जब जब मैं खोती हूं
लिपस्टिक लगा लेती हूं
और सुर्ख लाल लबों को
अश्रुमय आंखों से जब निहारती हूं
तो कुछ कुछ खालीपन सा लगता है
इसलिए पिय
ा इस वसंत तू जब घर आना
अपने हाथों से एक नथ पहना जाना
मुझे याद है जब तुम मेरी तरफ
जाते समय देखा था संजीदगी से
जैसे कि तुम मेरी ही आँखों में
मेरी छवि देख रहे थे
और मेरे बदले शरमा जाना तेरा
कुछ अजीब सा लगा था
कितना कष्टकारी था वह लफ्ज
जब तुमने जाते जाते
कहा था खुदा हाफ़िज़
और रोती रही थी मैं रात भर
डिक्सनरी में देख कर
खुदा हाफ़िज़ का अर्थ
इसलिए इस वसंत प्रिय
जब तुम घर आना
प्यार की निशानी
इक नथ अपने हाथों पहना जाना।