ये खामोश रात
ये खामोश रात
ये खामोश रात कुछ कह रही है,
बातें अनकही सुनाती हैं।
चांदनी छिपी है घने बादलों के पीछे,
जैसे कोई राज छुपी है इन रातों में।
बदलती हवाएं सरहदों को छूती हैं,
सपनों के परदे फरेब दिखाती हैं।
अधूरे ख्वाब बहकते हैं आसमान में,
ये खामोश रात उम्मीदें जगाती है।
बहती हैं तारों की कहानियाँ,
मिट्टी से उठी खुशबू गुनगुनाती है।
दिलों के सवालों के जवाब यहाँ मिलते हैं,
ये खामोश रात अनसुने अहसास जगाती है।
रुसवाइयों का इक झरोखा खुलता है,
नयी महफ़िल में गुलशन सजता है।
आज़ाद बेख़ुदी की राह पे चलो,
ये रात आपको नई मंजिलें दिखाती हैं।
बस्तियों में सोया ज़माना जगता है,
जुबां पर छुपे राज़ अदा करता है।
आँखों में सपने बुने अनकहे,
ये खामोश रात ख्वाबों को जगाती है।
शाम की सुकून से भरी ये रात है,
मोहब्बत की लड़ी में जादू है।
अधूरे वादे, बेज़ार ख्वाब सजे,
ये खामोश रात अभी बाकी है।
धड़कनों की धड़कनें खुशबू बिखराती हैं,
आँखों की रौशनी में राज पिरोती हैं।
चुप्पी के परदे सुनहरी तारों से सजे,
सपनों की दुनिया में रंग भरती हैं।
महकती हैं गुलदस्तों की बारिशें,
होंठों पे उबालती हैं इश्क़ की बातें।
इन्तजार की साजिशें चल रही हैं,
ये खामोश रात मोहब्बत को जगाती है।
रंगीन रातों में छिपी हैं ख्वाहिशें,
मुद्दतों से रोकी हुई उम्मीदें ।
इस शब की गोद में सपने रंगीं हैं,
ये खामोश रात आशाओं को जीने देती है।

