पहचान
पहचान
पहचान की जद्दोजहद में कितनी लगन है,
कुछ लोग तो रुखसत होकर भी महमान हैं।
ये दुनिया तो रंग-बिरंगी है इशारों से,
पहचान उन चेहरों की होती है जिनकी आँखों में जान है।
आईने के सामने तू कौन है,
ये सवाल नया नहीं, पहचान को बताने के लिए जुबान की जरूरत नहीं।
पहचान बस एक रौशनी है,
एक चमकती उम्मीद है, वफा की मोहर है, इम्तेहान की परख है।
दुश्मनी में भी पहचान बनी रहती है,
मित्रता में भी पहचान बसी रहती है।
पहचान की आबादी नहीं होती बड़ी,
ये तो अंदाज़े मोहब्बत की होती है।
जब तू चेहरे से पहचान बना देता है,
तब दिल का कोई भी इंसान वजूद बना देता है।
ये वक्त की हवा तो पल भर में बदल जाती है,
पहचान की शान अदला-बदला बन जाती है।
पहचान नहीं बड़ी, नहीं छोटी होती,
ये दिल की गहराई को छू जाती है।
सच्चे दोस्त की पहचान बन जाती है,
जब वफ़ादारी की राह चुनती है।
हमारी पहचान न सिमटी है किताबों में,
न बसे हैं अलम में रूहानी ज़िंदगी के बंदिशों में।
पहचान तू कहां ढूंढेगा, खुद अपने आप को,
ये दुनिया हर एक चेहरे में झूलती है।