फरियाद की रौशनी
फरियाद की रौशनी
जब रोगी रोग से बेहाल हो जाए,
फरियाद तो उठती है हर जुबां से।
दर्द और आह की बौछार में डूबे,
उम्मीद की किरणों को खोजते हुए।
संघर्ष की राह में डगमगाते कदम,
उठते हैं यहाँ संघर्ष के इशारों से।
क्षोभ और कष्ट से जीवन के मेले,
उठती हैं ये आहों की स्वरलहरियों से।
बचपन से सीखा है उनको ईश्वर का नाम,
जब भी दुखी होते हैं, उठाते हैं वो नारे।
समझते हैं वो कि रहमत की हवा,
बहुत नजदीक होती है जब तक़दीर के द्वारे।
चलते रहते हैं उन्हें जीने की उम्मीद,
खिलती हैं उनकी मुस्कानें अजनबी मुसीबतों में।
ये फरियाद की बौछार बन जाती हैं राह,
जो रौशनी लेकर उजाला करती है अँधेरों में।
आँखों में छुपे हुए रंज की माया,
खोजती हैं वो सुकून की मिठास।
जीवन की चुनौतियों में सदैव मजबूत,
बनती हैं ये फरियाद की बेबाकी की मिसाल।
विनम्रता के संग विलपित गगन से नीर बहती है,
संतप्त धरा के होंठों से वेदनाएं उठती हैं।
फरियाद करती हैं आज धरा के पेड़-पौधे,
प्रकृति के ह्रदय में घावों के मरहम हो।
मेरी आँखों में उजाला है खो गया,
कभी था समय जब मन में बसा हुआ नूर।
फरियाद करता हूँ मैं अपने रब से,
जो सच्ची ख़ुशियों से हो गए दूर।
जब तक जीवन की चक्रव्यूह में फंसे,
बसती रहेगी ये फरियाद की आवाज़।
हर दिल में छुपी है उम्मीद की आशा,
जो देती है हौसला, तोड़ती है गमों के राज़।