बेतुकी बातों में बो बात बाकी रह गई
बेतुकी बातों में बो बात बाकी रह गई
बेतुकी बातों में बो बात बाकी रह गई,
मन की गहराइयों में छुपी बात बाकी रह गई।
हंसी के पीछे छिपी थी दर्द भरी कहानी,
मुस्कान के साथ जले रही वो आँधी बाकी रह गई।
बोले शब्द थे तो बस बात बन गए धुंधले,
अनकहे अरमानों में उड़ती रही वो स्वप्न बाकी रह गई।
दिल की सूनी गलियों में घुली थी अकेलापन,
मिट्टी के साथ खो गई वो अधूरी कविता बाकी रह गई।
बेतुकी बातों में बो बात बाकी रह गई,
ज़िंदगी की जादूगरी में छुपी हुई माया बाकी रह गई।
बेतुकी बातों में बो बात बाकी रह गई,
असमानी आशाओं में उम्मीद बाकी रह गई।
हँसी के पीछे छिपे थे अश्कों के सदमे,
जीने की चाह में रुकी राह बाकी रह गई।
चिढ़ती थी दिल की आवाज़, उठते थे सवाल,
वो न जाने किस बहाने छुपी बात बाकी रह गई।
खोये थे सपने बड़े, पर बिखर गए ख़्वाब,
अधूरे किस्से लिखती रही क़लम, बाकी रह गई ।
बहुत कह दिया है ज़िंदगी के बारे में,
पर छूट गईं वो अहमियत, बाकी रह गई।
बेतुकी बातों में बो बात बाकी रह गई, ज़िंदगी
की राहों में चलती ख्वाहिश, बाकी रह गई।
बेतुकी बातों में बो बात बाकी रह गई,
छिपी थी महकती हुई बात बाकी रह गई।
आँखों में जलती थी चिराग की तरह वो चमक,
बुझ गई मिट्टी में, रह गई वो ज्योति बाकी रह गई ।
मन की उमंगों को छुपाती थी एक ख़्वाहिश,
टूट गई राहों में, रह गई वो रास्ता बाकी रह गई ।
बारिश के बूंदों में छिपी थी धरती की लागी,
सूख गई तनहाई में, रह गई वो आवाज़ बाकी रह गई।
बेतुकी बातों में बो बात बाकी रह गई,
जीने की वजह छूट गई, बस बची थी यादें बाकी रह गई।