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Manoj Mahato

Romance

4  

Manoj Mahato

Romance

खुद को बदलने का दौर आ गया

खुद को बदलने का दौर आ गया

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अब मुहब्बत में रखना संभल कर क़दम।

ये ज़ुबानी मुहब्बत का दौर आ गया।


दिल में कुछ है जुबां पर है कुछ और ही,

इश्क़ पढ़ने समझने का दौर आ गया।


भाव चेहरे का कुछ है जुबां कुछ कहे,

खुब बचकर के चलने का दौर आ गया।


गिर गए तो संभलना है मुश्किल बहुत।

अब संभलकर कर के चलने का दौर आ गया।


कौन अपना है मुश्किल समझना हुआ।

क्या करोगे किसी पर जो दिल आ गया?


नाम अच्छा है चेहरा भी सुंदर बहुत,

चीज़ क्या है समझने का दौर आ गया।


कहते हैं सब जमाना है बदला मनोज,

आओ खुद को बदलने का दिन आ गया।

       

   


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