खुद को बदलने का दौर आ गया
खुद को बदलने का दौर आ गया
अब मुहब्बत में रखना संभल कर क़दम।
ये ज़ुबानी मुहब्बत का दौर आ गया।
दिल में कुछ है जुबां पर है कुछ और ही,
इश्क़ पढ़ने समझने का दौर आ गया।
भाव चेहरे का कुछ है जुबां कुछ कहे,
खुब बचकर के चलने का दौर आ गया।
गिर गए तो संभलना है मुश्किल बहुत।
अब संभलकर कर के चलने का दौर आ गया।
कौन अपना है मुश्किल समझना हुआ।
क्या करोगे किसी पर जो दिल आ गया?
नाम अच्छा है चेहरा भी सुंदर बहुत,
चीज़ क्या है समझने का दौर आ गया।
कहते हैं सब जमाना है बदला मनोज,
आओ खुद को बदलने का दिन आ गया।

