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Manoj Mahato

Tragedy

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Manoj Mahato

Tragedy

जरा सोचो

जरा सोचो

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विरासत में मिली दौलत लुटाए जा रहे हैं हम।

तिलक, टैगोर, गांधी गर्व से चिल्ला रहें हैं हम।

हमारी आनेवाली पीढ़ियों को क्या दिया हमने?

उठा ये प्रश्न जब से है बहुत पछता रहे हैं हम।


पढ़ो इतिहास पढ़ना लिखना बेहद जरूरी है।

मगर पढ़कर क्या सिखा देखना बेहद जरूरी है।

हमारे पुर्वजों ने क्या दिया हमको जरा समझो।

जरा सोचो की देकर देश को क्या जा रहें हैं हम।


किया है नाम पुरखों ने किया है काम पुरखों ने।

बताया है हमें अच्छा नहीं विश्राम पुरखों ने।

मगर अब क्या है करना सोचने की अपनी बारी है।

तो कहकर हाथ में है क्या निकलते जा रहें हैं हम।


आजादी में गुलामी झेलना फितरत हमारी है।

हो चाहे कुछ भी कुछ न बोलना फितरत हमारी है।

हमारी ऑंख पर ऐसा पड़ा है स्वार्थ का चश्मा।

की सबकुछ देखकर अनदेखा करते जा रहे हैं हम।



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