लक्ष्य यही है जीवन का
लक्ष्य यही है जीवन का
लक्ष्य यही जीवन का मेरे,बना रहे सम्मान मेरा।
बाद मेरे मरने के भी हो सबके जुबां पर नाम मेरा।
भुल न पाए दुनियां मुझको मैं ऐसा कुछ काम करूं।
अपने जीवन का एक एक पल मैं साहित्य के नाम करूं।
बिना रूके बिना थके देश दुनियां के हालात लिखूं।
बेझिझक मैं समाज के सब कुरीतियों के खिलाफ लिखूं।
सत्ता के गलियारों में फैला है गुंडाराज लिखूं।
कैसे चाट रहे हैं दीमक देश को मेरे आज लिखूं।
प्राण निकलते वक्त मेरे होंठों पर एक मुस्कान रहे।
हर एक दिल पर राज करूं मैं जब तक जिस्म में जान रहे।
मनोज न कुछ पाने की चाह न खोने का डर हो मुझको।
ईश्वर मैं बेखौफ रहूं बस इतना सा वर दो मुझको।
