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नमी ऑंख की कम नहीं हो रही है। जुदा पाॅंव से अब ज़मीं हो रही है। नमी ऑंख की कम नहीं हो रही है। जुदा पाॅंव से अब ज़मीं हो रही है।
मिली चोट हमको मुहब्बत में ऐसी नहीं आज राहत कहीं हो रही है मिली चोट हमको मुहब्बत में ऐसी नहीं आज राहत कहीं हो रही है
मनोज क्या है अब हालात क्या बताऍं हम। दिया बुझा के हम बैठे हैं रौशनी के लिए। मनोज क्या है अब हालात क्या बताऍं हम। दिया बुझा के हम बैठे हैं रौशनी के लिए।
और कपड़े बदलने से कभी किरदार। और कपड़े बदलने से कभी किरदार।
अब मुहब्बत में रखना संभल कर क़दम। ये ज़ुबानी मुहब्बत का दौर आ गया। अब मुहब्बत में रखना संभल कर क़दम। ये ज़ुबानी मुहब्बत का दौर आ गया।
वक्त रहते सारी उलझनें सुलझा क्यूं नहीं लेते ? वक्त रहते सारी उलझनें सुलझा क्यूं नहीं लेते ?
विरासत में मिली दौलत लुटाए जा रहे हैं हम। तिलक, टैगोर, गांधी गर्व से चिल्ला रहें हैं। विरासत में मिली दौलत लुटाए जा रहे हैं हम। तिलक, टैगोर, गांधी गर्व से चिल्ला र...
ईश्वर मैं बेखौफ रहूं बस इतना सा वर दो मुझको। ईश्वर मैं बेखौफ रहूं बस इतना सा वर दो मुझको।
है समाज में लाचारी का पुतला वो मजदूर है। है समाज में लाचारी का पुतला वो मजदूर है।
शब्द में जो मनन का समावेश हो, बात कोई बुरी हो ही सकती नही। शब्द में जो मनन का समावेश हो, बात कोई बुरी हो ही सकती नही।