मैं कहां जाऊंगा
मैं कहां जाऊंगा
तेरी आहट भी जरूरी है जिंदगी के लिए।
मैं कहां जाऊंगा थोड़ी बहुत खुशी के लिए।
उम्मीद टूटने का ग़म सभी को होता है।
कोई रोता नहीं यहां है आदमी के लिए।
नाम लिख लिख के मिटातीं हैं जागती ऑंखें।
दिल के जज़्बात ही काफी हैं शायरी के लिए।
मैं समंदर हूं तेरी प्यास बुझाऊॅं कैसे?
मैं भी प्यासा हूं एक नदी के लिए।
प्यास धरती की आसमां ही बुझा सकता है।
कौन रोता है और दुनियाॅं में ज़मीं के लिए।
दुरियाॅं ही ये बताती है की नज़दीक है कौन।
जुदाई भी जरूरी चीज है सभी के लिए।
एक राधा ही जानती थी उसका श्याम है क्या?
यूॅं तो श्री कृष्ण बने थे हर किसी के लिए।
मनोज क्या है अब हालात क्या बताऍं हम।
दिया बुझा के हम बैठे हैं रौशनी के लिए।
