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Manoj Mahato

Abstract

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Manoj Mahato

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मजदूर

मजदूर

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दुनियां में जो सबसे पीछे रहता वो मजदूर हैं।

महल बनाकर झोपड़ों में रहता जो मजदूर है।


अपने हक की बात करें किससे ये पता नहीं जिसको,

हैं ज़ुबान पर बेजुबान सा रहता जो मजदूर है।


कुपोषण पर लम्बी चौड़ी भाषण तो दी जाती है,

और समाज में सदियों से कुपोषित जो मजदूर है।


सरकारी स्कूलों के हालत इतने नाजुक क्यूं?

सरकारी स्कूल में बच्चा जिसका वो मजदूर है।


जिस बस्ती में बिजली पानी जाने से कतराती है।

उस बस्ती में रहता जो इंसान वो मजदूर है।


कहता है इतिहास भी मजदूर की कहानी।

ताजमहल बनाकर जिसके हाथ कटे मजदूर है।


चार पैसे की चाह में जब शहर का रूख करता है।

ट्रेन की टॉयलेट में सफर करने वाला मजदूर है।


क्या-क्या कहूं मनोज दुनियां देखी बहुत करीब से।

है समाज में लाचारी का पुतला वो मजदूर है।


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