Manoj Mahato
Abstract
तस्वीरें बदलने से
तक़दीर नहीं बदलती।
और कपड़े बदलने से
कभी किरदार।
ग़ज़ल
मैं कहां जाऊं...
तस्वीर
खुद को बदलने ...
अपना क्यूं नह...
जरा सोचो
लक्ष्य यही है...
मजदूर
कीमती चीज बस ...
कुछ प्रश्नों के उत्तर तो मिल चुके थे, पर, फिर भी मैं असंतुष्ट था। कुछ प्रश्नों के उत्तर तो मिल चुके थे, पर, फिर भी मैं असंतुष्ट था।
प्रभु मूरत देख कर देवता अयोध्या में रहे, ये करें विचार। प्रभु मूरत देख कर देवता अयोध्या में रहे, ये करें विचार।
इसलिये ही हर घर के किवाड़ में, दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला ! इसलिये ही हर घर के किवाड़ में, दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला !
डूबने वाले का उदय निश्चित है बस भोर का इंतज़ार करने में आलस ना हो। डूबने वाले का उदय निश्चित है बस भोर का इंतज़ार करने में आलस ना हो।
तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में, तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में,
इसीलिए मुझसे ही मुझको, कई बार तूने ही मिलवाया है। इसीलिए मुझसे ही मुझको, कई बार तूने ही मिलवाया है।
तब हरेक बिस्तर के पास एक पियानो भी होना चाहिये। तब हरेक बिस्तर के पास एक पियानो भी होना चाहिये।
आजकल अब फूल ही चुभा करते हैं किसी मासूम शख़्स पे ऐतबार मत करना। आजकल अब फूल ही चुभा करते हैं किसी मासूम शख़्स पे ऐतबार मत करना।
लौटा कर अपनी नादाँ नाराज़गियों को आख़री दस्तक़ के साथ लौट आया हूँ मैं।। लौटा कर अपनी नादाँ नाराज़गियों को आख़री दस्तक़ के साथ लौट आया हूँ मैं।।
मन उदास हो गया और फिर मेरा ‘गंतव्य’ आ गया। मन उदास हो गया और फिर मेरा ‘गंतव्य’ आ गया।
जो विकसित हो कर सपनों को साकार बनाये। जो विकसित हो कर सपनों को साकार बनाये।
जो दुनिया बनाई है तूने प्रभू, हो गया क्या उसे मैं समझता नहीं। जो दुनिया बनाई है तूने प्रभू, हो गया क्या उसे मैं समझता नहीं।
अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्रियां ? अपने सतीत्व के लिए अग्नि परीक्षा देती हैं। न जाने कैसी होती हैं ये स्त्र...
हमेशा मेरे साथ रहो और ऐसे प्यार करो जैसे तुम्हें करना चाहिए। हमेशा मेरे साथ रहो और ऐसे प्यार करो जैसे तुम्हें करना चाहिए।
परीक्षाएं देते देते सीता सी तेरी गोद में सो जाती है बेटियां। परीक्षाएं देते देते सीता सी तेरी गोद में सो जाती है बेटियां।
आ गए वापिस फिर से मेरे पास क्या काम है बोलो तभी आए हो इधर आ गए वापिस फिर से मेरे पास क्या काम है बोलो तभी आए हो इधर
दो पल ही खिलना यहाँ, फिर सब माटी धूल। दो पल ही खिलना यहाँ, फिर सब माटी धूल।
तुम कभी ये कह नहीं सकते किस में कम किस में ज्यादा है। तुम कभी ये कह नहीं सकते किस में कम किस में ज्यादा है।
और मेरी इस कविता को तुम पढ़ना चाहोगे बार बार। और मेरी इस कविता को तुम पढ़ना चाहोगे बार बार।
ख़ुदी मिटा कर दूजों को अपनाती हूँ मैं, फिर भी किसी के ध्यान कभी नहीं आती हूँ मैं। ख़ुदी मिटा कर दूजों को अपनाती हूँ मैं, फिर भी किसी के ध्यान कभी नहीं आती हूँ म...