सौगात तो दे दे
सौगात तो दे दे
मिले होंगे वो किसी को बिन मांगे ही, मुझे तो इबादत से भी उनका इंतज़ार मिला,
या रब इतना तो करम कर ज़िंदगी भर के लिए उनका साथ दे दे..!
उनकी हथेलियों की लकीरों में बस जाऊँ बन जाऊँ किस्मत उनकी, छू
सकूँ परछाई उनकी ज़रा सी नज़दीकीयों की सौगात दे दे..!
बेनिशाँ से मेरे वजूद को कतरा भर वो इज्जत दे दे,
बिखरूँ जब मैं पंखुड़ियों सी वह अपने उर आँगन में ज़रा सी पनाह दे दे..!
मैं सूखी रेत सी वो समुन्दर सा असीम,
कभी लहरें बनकर बिछा दे खुद को मेरे तन के उपर, मल दे खुद को मुझ में ऐसी शीत नमी की बौछार दे दे..!
इकरार करके इश्क का वो मेरी चाहत कुबूल कर ले,
दो हाथों को जोड़े इबादत में बैठी हूँ, अपने करम की कुछ तो सदके में रज़ा दे दे..!
कहाँ चाहा कोई सोना चाँदी कहाँ जन्नत का नूर क्यूँ कतराए देने में तेरे खजाने से चंद बूँद,
आगोश में उनकी आख़री दम भरूँ हक तो इतना दे दे।

