यादों का झोंका
यादों का झोंका
चूम लेती है तेरी याद हमें
जब गुजरते है यादों के कम्बख्त झोंके
ले जाती है पुराने सिलसिले में
मैं अपने बिस्तर पर बैठकर खिड़की से
तेरे दिल के अंदर आती हूँ चुपके से
तेरे पास बैठकर अफसाने दुहराती हूँ
गिले शिकवे जो भी हो उसे भूल जाती हूँ
कम से कम थोड़ी देर के लिए सुकून की
साँस लेकर आ जाती हूँ
गुज़ारिश है मेरी, भेजा कर ये इत्रमयी झोंके
तू नहीं तो तेरी याद ही जीने के लिए काफी है।

