बहती है मोहब्बत…
बहती है मोहब्बत…
इक बार तू, मुझ तक आकर तो देख
मेरी ही तरह, मुझको चाहकर तो देख…
महसूस होगी तुम्हें, मुझमें हर खुशी
एक बार ज़रा, गले लगाकर तो देख…
मग़रूरीयत को छोड़, कुछ पल के लिए
मेरी तरहाँ खुद को राहों में, बिछाकर तो देख…
हो जाएंगे दूर, तमाम गिले-शिकवे
एक दफ़ा खुलकर, मुस्कुराकर तो देख…
मिलेगा तुझे हर, सुकून और नींद भी
अपनी ख़ला को दिल से, भुलाकर तो देख…
शमा जो जली, तो हुई महफ़िलें रोशन
बन के परवाना, खुद को जलाकर तो देख…
अल्हड़ सी नदी, जैसे बहती है मोहब्बत
पीकर तू अपनी प्यास, बुझाकर तो देख…

