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DEVSHREE PAREEK

Romance

3  

DEVSHREE PAREEK

Romance

अज़नबी…

अज़नबी…

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नज़दीक-दर-नज़दीक, हम आ रहे हैं

मगर फ़ासले जाने क्यों, बढ़ते जा रहे हैं…

इंतजार ले ना लें, जान हमारी

पल-पल हम मरते, जा रहे हैं…

जाने वो अज़नबी कैसा होगा

जिससे मिलने हम जा रहे हैं…

या तो उससे मरासिम हो जाए गहरे

या फिर खुद ही मिटने जा रहे हैं…

बेकरारी के लम्हों का आलम है गज़ब

नज़र-दर-नज़र बिछाए जा रहे हैं.


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