प्यार क्या है…
प्यार क्या है…
प्यार क्या है …कौन कर सका परिभाषित इसको शायद कोई नही ….
कौन समझ सका या समझा सका …
ऐसा हुआ ही नही … ना होगा
ये कोई बोल नही … बता पाए कोई
ना ही कोई ….. चीज़ है दिखा पाए कोई
कितनी गहरायी से ..जिस्म की हज़ारों तहों के नीचे
कुदरत ने एक छोटे से दिल में छिपा के इसे बसाया
ना कोई आह निकले …. न रूबरू हो
दर्द भी ऐसा …. जो नो बयां हो
प्यार क्या होता है
कोई ना समझा पाया …
खुद “कृष्णा “भी “राधा “को ना बता पाया।

