" मैं प्रणय का अंबुद हूँ "
" मैं प्रणय का अंबुद हूँ "
हे मेरी खोई सी स्त्रोतस्विनी!
उठो,
लहरों सी मचलो
निर्बाध गति से बहो
खिलखिलाकर हंसो
तब तक, जब तक
गलबाहियाँ में न बांध लूूं
और निक्षण कर लूँ
तेरा!
मै प्रणय का अंबुुद हूूँँ !!

