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Jai Singh(Jai)

Romance

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Jai Singh(Jai)

Romance

" मैं प्रणय का अंबुद हूँ "

" मैं प्रणय का अंबुद हूँ "

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हे मेरी खोई सी स्त्रोतस्विनी! 

उठो, 

लहरों सी मचलो

निर्बाध गति से बहो

खिलखिलाकर हंसो

तब तक, जब तक

गलबाहियाँ में न बांध लूूं

और निक्षण कर लूँ

तेरा!

मै प्रणय का अंबुुद हूूँँ !! 



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