दुखाना चाहता है
दुखाना चाहता है
वह मेरा दिल को दुखाना चाहता है।
जो मुझे अब भूल जाना चाहता है।
मोहब्बत ही मोहब्बत हर जगह हो।
अदब बस यह सिखाना चाहता है।
ज़ख्म जितने थे वह शायद भर गए।
ज़र्ब वह फिर से लगाना चाहता है।
शाम होते ही तो आ जाते परिंदे।
रात होते ही ठिकाना चाहता है।
देखता है जब मुझे खामोश वह ।
देके खुशियां मुस्कुराना चाहता है।
कोहसारों में भटक जाऊं "सगीर"।
वह मुझे गाकर सुनाना चाहता है।