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danish Chaudhary

Romance

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danish Chaudhary

Romance

नजम

नजम

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मेरे बस में नहीं वरना कुदरत का लिखा हुआ काटता

तेरे हिस्से में आए बुरे दिन कोई दूसरा काटता


लारियों से ज्यादा बहाव था तेरे हर इक लफ्ज़ में

मैं इशारा नहीं काट सकता तेरी बात क्या काटता


मैंने भी ज़िंदगी और शब ए हिज़्र काटी है सबकी तरह

वैसे बेहतर तो ये था के मैं कम से कम कुछ नया काटता


तेरे होते हुए मोमबत्ती बुझाई किसी और ने

क्या ख़ुशी रह गयी थी जन्मदिन की, मैं केक क्या काटता


कोई भी तो नहीं जो मेरे भूखे रहने पे नाराज़ हो

जेल में तेरी तस्वीर होती तो हंसकर सज़ा काटता।


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