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danish Chaudhary

Romance

3  

danish Chaudhary

Romance

रात की तन्हाई

रात की तन्हाई

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जब रात की तन्हाई दिल बन के धड़कती है

यादों के दरीचों में चिलमन सी सरकती है

लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए

यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है

यूँ प्यार नहीं छुपता पलकों के झुकाने से

आँखों के लिफ़ाफ़ों में तहरीर चमकती है

ख़ुश-रंग परिंदों के लौट आने के दिन आए

बिछड़े हुए मिलते हैं जब बर्फ़ पिघलती है

शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है

जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है



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