....मत पढ़ो !!
....मत पढ़ो !!
बातों से पेट भरे तो भूखा कोई ना होता,
इच्छा सारे पूर्ण होते तो प्रभु को कौन बुलाता ।।
रुपयों से यदि ज्ञान मिले हर अमीर ज्ञानी होते,
बड़ों की चरणों में सिर झुकते तो हर घर भी देवालय होते ।।
प्रेम के बदले प्रेम मिले तो कोर्ट कचहरी काहे की,
सारे कर्म जब अपना है फिर ए रोना काहे की ।।
जितना भाई उतना घर, फिर माता पीता कहां है,
पाने की लालच की दौड़ में कौन यहां अपना है ।।
चुटकी भर सिंदूर से जब हो जाती सातों जन्म की बंधन,
पूरी सिंगार से सज के भी ना निभा पाते एक जन्म की दुल्हन ।।
अश्रु की धारा को क्या शस्त्र की धार रोक लेगा,
पीड़ा जब मन में हो पैसा कैसे भर पाएगा ।।
समय की मार पड़ेगा जब ना दे पाएगा जवाब,
अभाव में पता चलता है कैसा मानव की स्वभाव ।।
हर चमकती कांच यदि हीरा बन जाते,
मेरे कविता पढ़ने वाले भगवान हो जाते ।।