मैं एक नारी हूँ। (सिया की कथा)
मैं एक नारी हूँ। (सिया की कथा)


जीवन मेें कभी ना हारी हूँ
क्योंकि मैं एक नारी हूँ
अयोध्या नगरी की महारानी सिया
वन वन भटकी जीवन भर
पति का वचन निभाने को
चलती रही डगर-डगर
दशानन के छल कपट से
लड़ी अकेले निज संकल्प से
हुआ विवश त्रिलोक विजेता
निज अहं के भार से
त्याग तपस्या करते करते
बिताया जीवन का हर क्षण
कितने ही व्यंग्य बाण सहे
अपने आत्मसम्मान पर
ना डरी ना कदम रुके
जलती रही अंतिम क्षण तक
फिर भी मैं जीवन धारी हूँ
क्योंकि मैं एक नारी हूँ!