तुम्हारी तस्वीर को देखकर
तुम्हारी तस्वीर को देखकर
तुम्हारी तस्वीर को देखकर
मैं हँस दिया करता हूँ।
कभी तुम पर तो
कभी अपने आप पर।
खैर राहें अलग हैं आज
फिर भी मैं तुलना
करता हूँ तुम्हारी
और मेरी किस्मत
शायद तुम्हारे लायक मैं न था
या मेरे लायक तू न थी।
और तुम्हारी तस्वीर को देख कर
मैं दोष दिया करता हूँ।
कभी तुम पर तो
कभी अपने आप पर।
गर सच है ये की
जीवन डोर उसके हाथों में है
तो फिर दोष तेरा न मेरा
फिर भी एक आग
लगी है दिल के किसी कोने में
और तेरी तस्वीर को देख कर
मैं ये आग झोंक दिया करता हूँ
कभी तुम पर तो
कभी अपने आप पर ।
सब जी रहें हैं इस जग में
हजार गम और खुशी को समेटे
पर मुझे दरकार नहीं उनसे
और तुम्हारी तस्वीर को देखकर
क्यों अपनी निगाह रोक दिया करता हूँ
कभी तुम पर तो
कभी अपने आप पर।