पूरे परिवार को खा जाती और उजड़ जाते जिंदगी ख्वाब। पूरे परिवार को खा जाती और उजड़ जाते जिंदगी ख्वाब।
कस कर बदन से लपेट दर -दर माँगता बेताज - बदहाल। कस कर बदन से लपेट दर -दर माँगता बेताज - बदहाल।
देखती हूँ उस भिखारी को वहाँ वहीं से बैठा वह निहारता । देखती हूँ उस भिखारी को वहाँ वहीं से बैठा वह निहारता ।
क्या छोटा और कौन बड़ा है उस को नहीं परवाह नामी और गिरामी पल में धराशायी उसके आगे क्या छोटा और कौन बड़ा है उस को नहीं परवाह नामी और गिरामी पल में धराशायी उसके...
बाबूजी,मेरे अपनों ने ऐसी दशा बनाई है। बाबूजी,मेरे अपनों ने ऐसी दशा बनाई है।
रोटी की भूख अन्तर्मन की पीड़ा बूढ़ा लाचार। रोटी की भूख अन्तर्मन की पीड़ा बूढ़ा लाचार।