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Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy

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Dr Jogender Singh(jogi)

Tragedy

भूला

भूला

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मैं इंतज़ार कर रहा हूँ, किसका ?

जो कभी आयेगा नहीं  

या उसका जो कभी गया ही नहीं  


राजा का ख़ज़ाना लिये,

भिखारी बन जी रहा

माँगने की आदत लत बन गयी  

फैलाये -फैलाये हाथ चटक गये

शुष्क चमड़ी,

बेज़ार चेहरा ही पहचान बन गये


मुस्कुराने की वजह ढूँढ,

रोने की आदत

मैं क्या हो गया हूँ? 

पहचान भूल, भुलक्कड़ हो गया हूँ


माँगता गली - गली  

भूल पहचान अपनी,

चीथड़ों को पहचान बनाये 

कस कर बदन से लपेट

दर -दर माँगता

बेताज - बदहाल।


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