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Abhishu sharma

Inspirational

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Abhishu sharma

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बंद दरवाज़े : मेरी उम्मीद की किरण

बंद दरवाज़े : मेरी उम्मीद की किरण

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दुनिया के लिए उलझी हुई पहेली थी ,

दिन के उजालों में कहीं गुम थी ,

अब उन्हीं अंधियारे दिनों की

उजली रातों की चांदनी में पिघलकर,

खुद की सुलझी हुई सहेली हूँ।

दुख का गहन पाठ पढ़कर

नीरवता की गहराई में मगन रहकर

खुद को खुद में जीना सीखी हूँ।

अक्सर अनमोल खजानों को ढूंढ़ने का सफर,

 वो कांटों से भरे टेढ़े मेढ़े अंधियारे रास्तों को 

 मंज़िल की ओट से निहारता वो पारस पत्थर,

जंग खायी कुण्डी लगे दरवाज़ों के पीछे ही प्राप्त होता है

कभी खुले आसमान के नीचे भी एक एक सांस को तरसती  मैं,

अब बंद दरवाज़ों में भी खुल कर जीना सीख गयी हूँ। 

अब जीवन की कहानी में किस्सा प्रेम का हो,

वेदना का या हो भ्रान्ति का ,

मन मेरा सब में सुख पाता है ,

अब दिल सुकून की नींद सोता है।

अब जो खुद को खुद से मिलाकर 

मुस्काने की ज़िद्द में जीना सीख गयी हूँ ,

अब भोली भाली भूलों को खुद लुट कर भी

 उनके हिस्से का भाग देना नहीं भूलती  हूँ।


 



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