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Meena Mallavarapu

Inspirational

4  

Meena Mallavarapu

Inspirational

अपराजिता

अपराजिता

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  अपराजिता हूँ,अपराजिता रहूं मैं

  है नहीं मेरा सपना और कोई

  गिरती रहूं ,उठती रहूं मैं!

उबड़ खाबड़ राहों पर संभलती रहूं मैं

 शिकवा शिकायत न कोई

  आंसू बहाती न रहूं मैं !

दुनिया की टीका टिप्पणी सुनती रहूं मैं

  फ़र्क न पड़ा,न पड़े मुझे कोई

  टूटना न सीखा न जानूं मैं!

आदर सम्मान औरों का करती रहूं मैं

  मगर अपमानित मुझे करे कोई

  अपने तेवर दिखाना जानूं मैं!

‌ विचक्षण शक्ति अपनी,पहचान रही हूं मैं

  जाने यह सच या न जाने कोई

  क्यों इसका ऐलान करूं मैं!

  अपराजिता मैं

‌‌ परिभाषित कर रही हूं मैं गरिमा है क्या,

  जाने न जाने कोई-

  अपने आयाम करूं निश्चित मैं!

  अपराजिता हूँ,अपराजिता रहूं मैं

  हक किसी का नहीं मुझपर कोई

 अपनी सीमा निश्चित करती रहूं मैं

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