STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

4  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"छोटी सी गुड़ियां"

"छोटी सी गुड़ियां"

2 mins
381

एक छोटी सी गुड़िया

खुशियों की पुड़िया

इससे घर मे चमकती

हर्षोल्लास की बिंदियां


जैसे ही तू आयी,मुनिया

हनुमानजी की कसम

खुशी न समाई,मेरे जिया

तू हर त्योहार की,घडियां


खिलाती है,घर की बगिया

क्यों बंद,लोगों की अंखियां

गर्भ में मार देते है,बेटियां

क्यों है,हमारी ऐसी नीतियां


बेटों पर देते ज्यादा,जिया

जबकि ये होती वे,कलियां

जिनसे एक न,दो घरों की

जलती है,सदा ही बतियां


एक छोटी सी गुड़िया

कितने रूपों की पुड़िया

मां,बहन,पत्नी,बेटियां

इनके बिना क्या है,दुनिया


ज़रा सोचो फिर,मारो

गर्भ में तुम लोग,बेटियां

कितना बड़ा हो,दरिया

जल पीते,सिर्फ,नदियां


तन में शक्ति,चिंगारियां

उसके दूध की है,रे भैया

गर उसकी न होती,छैया

न खिलती,जग बगिया


कह रहा,साखी,सुनियां

यह संसार बिना स्त्रियां

बिना प्रकृति की दुनिया

बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ


हर तरफ होगी,खुशियां

बिटियां,माथे की बिंदियां

माता ने कन्या रूप लिया

लोग,आदर करे,बेटियां


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational