"भक्ति भाव समर्पण"
"भक्ति भाव समर्पण"
मेरा काशी हैं तूं मेरा काबा भी हैं तूं।
मेरे दिल में सदैव समाया रहता हैं तूं हे मेरे प्रभु।
तबआस किसी दूसरे से क्यूं करूं।
जब मेरे पालनहार मुक्तिदाता प्रभु कि शरण में हूं
मैं हे मेरे प्रभु।
मेरे दिल में सदैव समाया रहता है तूं हे मेरे प्रभु।
जहां जाता हूं मेरे साथ सदैव रहता हैं तूं हे मेरे प्रभु।
मेरे दिल में सदैव समाया रहता हैं तूं हे मेरे प्रभु।
बचपन जवानी कि मदमस्ती खौ चुका हूं।
अब बुढ़ापे में एक सहारा बचा हैं तूं हे मेरे प्रभु।
मेरे दिल में सदैव समाया रहता हैं तूं हे मेरे प्रभु।
जगत संसार दिखावे कि मोह-माया हैं।
अब यह बोध मुझे हो चुका हैं हे मेरे प्रभु।
मेरे दिल में सदैव समाया रहता हैं तूं हे मेरे प्रभु।
दुनियां तो हैं सिर्फ़ मतलबी यार हकीकत में
ख़ाली हाथ आये थें ख़ाली हाथ ही लौटना हैं।
यह बात मुझेअब समझआ चुकी हैं हे मेरे प्रभु।
मेरे दिल में सदैव समाया रहता हैं तूं हे मेरे प्रभु।
अब तो दुनियां भी लगती हैं जी का जंजाल
इससे मुझे मुक्ति दिला दें तूं हे मेरे प्रभु।
मेरे दिल में सदैव समाया रहता हैं तूं हे मेरे प्रभु।
जन्म मृत्यु का मुक्तिदाता पालनहार हैं तूं हे मेरे प्रभु।
मेरे दिल में सदैव समाया रहता हैं तूं हे मेरे प्रभु।
कवि देवा करता हूं अरदास जन्म मृत्यु से
मुक्ति दिला दें तूं हे मेरे प्रभु।
अब तेरे चरणों में समर्पण भाव से स्थान दें दें
तूं हे मेरे प्रभु।
मेरे दिल में सदैव समाया रहता है तूं हे मेरे प्रभु।
