वक्त किसीका नहीं
वक्त किसीका नहीं
ना इतराओ आज अपनी कामयाबी पर इतना पलक झपकते ही तख़्त ओ ताज पलटते देखें है हमने।
वक्त आज तुम्हारा है कल जानें किसका होगा कौन जानें किस घड़ी वक्त का बदले मिज़ाज।
वक्त के हाथों टूटता है गुरुर रावण का तो राम को भी कहाँ मालूम था राजतिलक को छोड़ वनवास जाना होगा।
जो पल मुठ्ठी में है वही अपने है अगले पल पर यकीन मत करो, जिस पर आज राज तुम्हारा है कल उस पर कोई ओर सवार होगा।
आसमान पर आज जितना जी चाहे उड़ लो आख़िर दो गज ज़मीन से ही सबको नाता जोड़ना होगा।
