मां
मां
चाहतों के सफ़र में, पहला सफ़र होती है मां
अनजान दुनिया की डगर में, पहली परिचित होती है मां।
अक्षरज्ञान की शुरुआत भी तुम्हीं से होती है
ढाल बनकर सुरक्षा का आरंभ तुम्हीं से होता है।
ईश्वर की प्यारी सूरत और हसीन चेहरा है मां
भावनाओं की अनुपम मूरत, मुस्कराहट का पहरा है मां।
परिवार की नींव मज़बूत तुम्हीं से बनती है
पारिवारिक रिश्तों को संजीवनी तुमसे मिलती है।
उदासी में भी हंसी की आस है मां
दुःख में भी सुख का अहसास है मां।
मां है तो, है सफल ज़िन्दगी
मां के बिना तो, विफल ज़िन्दगी।
सांसों को प्राणवान बनाती है मां
निराशा में आशा का संचार कराती है मां।
बेगानी है दुनिया और बेगाने रिश्तेदार
अपनी है मां और केवल मां का प्यार।
दुनिया से लड़ जाती जो, वो है केवल मां
ना कभी कुछ लेती हमसे, सर्वस्व लुटाती मां।
निस्वार्थ सेवा करती मां का, ना चुका सकेंगे ऋण कभी
प्यार, सौहार्द्र और आदर करें मां का, तर जाएंगे हम सभी।