करोना - कहर
करोना - कहर
वक्त इंसान का कब बदल जाता है पता नहीं चलता,
कब क्या हो जाएगा सोच कर दुखी होता रहता।
करोना कहर ने यह सबक सिखा दिया
अच्छे बुरे ,सबको घर में बैठा दिया ।
कर्मों का खेल कहें या भाग्य की मार
जीवन में सबके डर है अब आपार।
बाहर जाने से लगता है अब तो डर
हाथ भी गल रहे हैं अब धो-धो कर।
जो हालात बिगड़ते जा रहे हैं आजकल
मन डरता रहता है क्या होगा अगले पल।
अब तो बस एक ही विकल्प नज़र आता है
बचेगा वही जो सोशल डिस्टैंसिंग अपनाता है।
दोस्तो ,बिना मास्क न बाहर जाना है
भीड़ से बचना व न हाथ ही मिलाना है ।
कुछ बातों का जो रखेंगे हम ख्याल
विश्वास कीजिए न होगा बुरा हाल।
ये वक्त की मार ,बुरा वक्त कट जाएगा
एहतियात से हर कोई करोना को हराएगा।