चरित्र
चरित्र
पानी जैसा चरित्र का दर्पण
शालीन भाव से निर्मल निश्छल
कर्म गति से पल पल बनता
चरित्र निर्माण आसान नही है
इसके लिए इच्छाओ की आहुति देकर
तलीनता ,विवेक,विशवास से तराशना होगा
चरित्र वृक्ष समान हो विशाल पुण्यात्मा की भांति
सदाचार के फलो समान गुणयुक्त,
सदैव सतकर्मो से युक्त
मानवता की भावनाओं से भरा
ह्दय मे अपार करूणा , जीवों के दुखो को
दूर करने वाला,निस्वार्थ भावना युक्त
ऐसे चरित्र के गुणगान माँ शारदे पखारती
मिट्टी के तन मे शील चरित्र की सौंधी खुशबू
आभा मंडल मे छा जाती है
व्यवहार कुशलता हो अगर समाज
मे विख्यात मिल जाती है
शुद्ध चरित्र वान के साथ ईश्वर का वरदान होता है।
ऐसा विरला लाखो करोडो मे कोई ही होता है।
लम्बी जीवन की यात्रा मे जो हुआ वो बीत गया
आओ आज से पहले करें।
अपने चरित्र को पानी की तरह निर्मल स्वच्छ दर्पण बना लें।
जो बाकी की जिंदगी गुजारनी है।
उसे समाज मे यादगार करे,सफल और साकार करें
मीठा बोले,दुआए बाँटे,अपने पराये का भेद भूल
करे सबका का भला ,सबसे पहले
बुराई को अच्छाई पर हावी न होने देना
मानवता का मूल मंत्र जप कर दूसरो का भला कर देना।
संकट भी कोसों दूर रहेगासत्य का परायण करने से
उपवास करो ,प्रण करो अच्छे संकल्प काशांति की उर्जा का संचार करो।
ऐसे चरित्र का निर्माण करो।गौरवशाली भविष्य का निर्माण करो।विश्व का कल्याण करो
उज्जवल चरित्र का निर्माण करो।प्रतिभाशाली बन समाज का कल्याण करो।शुद्ध आचरण का भान करो
ऐसे चरित्र का निर्माण करो।
