विज़डम से पैदल है वाणी पे ब्रेक। कुछ कहने को हकलू लगता जब ज़ोर। कहते हैं सारे वन्स मोर वन्स मो... विज़डम से पैदल है वाणी पे ब्रेक। कुछ कहने को हकलू लगता जब ज़ोर। कहते हैं स...
महक नहीं आती शायद इन्हे इंसानी मेहनत और पसीने की महक नहीं आती शायद इन्हे इंसानी मेहनत और पसीने की
एक से ज़्यादा भाषा भी जानना कमाल है। एक से ज़्यादा भाषा भी जानना कमाल है।
लेकिन अब किसी को परवाह नहीं इस देश की लेकिन अब किसी को परवाह नहीं इस देश की
ये रोबट को ही पहचाना अब का बच्चा गाँव न जाना। ये रोबट को ही पहचाना अब का बच्चा गाँव न जाना।
किसी रिसोर्स पर्सन की रोज़ी-रोटी है, तो हम जैसे शिक्षकों के लिए माथाफोड़ी है। किसी रिसोर्स पर्सन की रोज़ी-रोटी है, तो हम जैसे शिक्षकों के लिए माथाफोड़ी है।